Tuesday 2 June 2020

समस्या का समाधान


नानक  दु:खिया सब संसार के महावाक्य 
अनुसार आज पूरे विश्व में कोई भी व्यक्ति 
पूरी तरह सुखी नहीं है ! हर कोई किसी ना 
किसी दु:  से परेशान है 

और दु:खी  होने के दो ही कारण हैं ,
पहला प्रकृति दूसरा व्यक्ति !

प्रकृति पर किसी का भी वश नहीं है ,
इसलिए बात व्यक्ति की है !

अधिकांश व्यक्ति ऐसे काम करता है कि
दु:  देने वाले हालात पैदा हो जाते हैं
दूसरों को  दु:खी करने के उद्देश्य से पैदा 
किए हालात से वह स्वयं भी दु: ही पाता है

जबकि पता है कि दु:  देने से दु:  
और सुख देने से सुख ही मिलता है
जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है , पहले 
वह स्वयं ही उसमें गिरता है!
     
कहावतें यूं ही नहीं बनी है 
सीख लेने के लिए है !

दु: के पीछे समस्या है और समस्या के     
पीछे शब्द , यानी मुंह से निकले बोल !

समस्या को पैदा करना और ना करना 
व्यक्ति के बोल पर भी निर्भर होता है  !
व्यक्ति के बोल ही उसकी व्यवहारिकता
को भी साबित करते हैं

इसलिए व्यक्ति को सोच समझकर 
बोलना चाहिए,क्योंकि व्यक्ति के मुंह में 
छुपी जुबान एक बड़ी जादूगरनी की तरह है,
जो इस जहान में बड़े-बड़े करतब दिखाती है

कड़वी जुबान समस्याएं पैदा करके अपनों 
के बीच दूरियां बढ़ती हैदु:  बढ़ाती है और 
युद्ध तक करवाती है !

और यही जुबान मीठे रूप में गैरों को भी 
अपना बनाती है , सुख बरसाती है और 
हर किसी को - प्रेम में अपना दीवाना भी 
बनाती है  !

इन बातों के अलावा दु: से बचने की 
कुछ समझने वाली बातें भी हैं जिस 
पर अमल करके ना केवल हम स्वयं 

खुश सुखी होते हैं , बल्कि दूसरों को 
भी खुशी सुख दे सकते हैं
वह समझने वाली बातें निम्नानुसार है -

1 - समस्या से दु: और दु:  से चिंता 
पैदा होती है ! इसलिए अगर हमारे पास 
समस्या का समाधान है , तो फिर चिंता

करने की क्या जरूरत है और अगर 
समस्या का समाधान नहीं है तो भी 
चिंता करने की क्या जरूरत है ?

चिंता चिता के समान होती है ! 
इससे बचना ही जिंदगी है !
और जिंदगी जिंदादिली का नाम है !
इसलिए बेफिक्र रहो मस्त रहो 
स्वस्थ रहो !

2 - विवाद भी एक समस्या है और
समस्या से दु:ख पैदा होता  है !

विवाद अक्सर बातचीत के दौरान 
ही पैदा होता है !

इसलिए अगर आपके साथ बात करने 
वाला व्यक्ति मूर्ख है , तो उससे अधिक 
बात करने की क्या जरूरत है और अगर 
बात करने वाला बुद्धिमान है , तो भी 
अधिक बात करने की क्या जरूरत है ?

क्योंकि बुद्धिमान व्यक्ति समझदार 
होता है और समझदार व्यक्ति अपनी 
बातों को कम शब्दों में कहता है , और 
दूसरों की बातों को ध्यान पूर्वक सुनता है !

3-बेवकूफी भी एक विवाद का कारण है !
अधिकतर सड़को पर ऐसी बेवकूफी 
होती है ! 

ऐसी बेवकूफी के कारण सड़को पर 
अक्सर बहस बढ़ने पर नौबत झगड़े    
तक पहुंच जाती है !

इसके बाद होने वाले झगड़े से 
स्वाभाविक हैदु:  तो होता ही है
इसलिए ऐसी बेवकूफी करने से  बचना 
ही समझदारी हैं  !  

जैसेअगर सड़क पर ट्रैफिक चल रहा है , 
तो बेवजह  हार्न बजाने की क्या जरूरत 
है ? और अगर ट्राफिक जाम है , तो भी 
हार्न बजाने की क्या जरूरत है ? 
क्या हार्न बजाने से जाम खुलता है कभी ?

इस तरह हार्न बजाने से ना केवल ध्वनि 
प्रदूषण उत्पन्न होता है , जो मानव 
स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है ,

बल्कि इससे हार्न बजाने वाले की 
बेवकूफी ही प्रकट होती है ! 

समझदार के लिए इशारा ही काफी  है !


4 - नकारात्मक ( नेगेटिव ) सोच भी 
दु:  का कारण है अक्सर और बार-
बार नेगेटिव सोचने के कारण व्यक्ति 
मानसिक शांति खो देता है

व्यक्ति अपने साथ साथ पास के अन्य 
व्यक्तियों को भी दु:खी करता है !
इसलिए हमेशा सकारात्मक(पॉजिटिव)
और रचनात्मक सोचें !


इससे खुशी भी मिलती है , सुख का 
अहसास भी होता है और मन भी 
प्रसन्न रहता है !

5 - समय का ध्यान ना रखना भी एक 
दु:  का कारण है ! जैसे-

समय पर ना पहुंचना, समय से काम ना 
करना , समय का सदुपयोग ना करना , 
किसी को दिए गए समय पर ना मिलना , 
यह सब गैर जिम्मेदाराना हरकत है ! 

जिससे हमें कई बार बड़े बड़े नुकसान 
हो जाते हैं और हमें बड़ा दु:  होता है !
इसलिए जीवन में समय की कद्र करना 
चाहिए ! समय बड़ा बलवान है और 
समय बड़ा अमूल्य भी है  !


समय की कद्र करने और समय के साथ 
चलने और समय के पूर्व सोचनेवालों की 
प्रगति भी होती है ! 

6 - परिवर्तन का ना होना भी
भी एक दु:  का कारण है! 
परिवर्तन प्रकृति का नियम है !
इसी में सुख - दु: निहित है !

परिवर्तन हर किसी में होता ही है !
युग  में भी परिवर्तन हो रहा है !
टेक्नोलॉजी में भी प्रतिदिन 
परिवर्तन हो रहा है !

इसी प्रकार आज की  युवा पीढ़ी के 
सोच-विचार में भी परिवर्तन हो रहा है
आज की पीढ़ी के सोच-विचार पुरानी 
पीढ़ी के लोगों से काफी अलग है

आज की  युवा पीढ़ी के विचार एक 
तर से क्रांतिकारी भी है और 
व्यवसायिक भी हैलेकिन आज भी 
अधिकांश परिवारों में पुरानी पीढ़ी के

बुजुर्ग लोग - आज की युवा पीढ़ी पर 
पुराने रीति-रिवाजों एवं प्रथाओं के   
अनुसार यह करो,वह मत करो,यह 
खाओ,वह मत खाओ,यह पहनो,वह

मत पहनो,इतने बजे उठो,इतने बजे 
सो जाओ,इससे मत मिलो,उससे मत 
मिलो,इस तरह की अनेकों बंदिशें 
लगाना, हुक्म देना, टोका टाकी करना,

भेदभाव करना,शक करना,वह करना,
युवाओं की इच्छाओं का विरोध करना, 
आदि आदि जैसी विद्रोही हरकतें करके 
खुद भी  दु:खी रहते हैं और युवा पीढ़ी 

को भी  दु:खी करते हैं ! ऐसे ही परिवारों 
में अक्सर तन मन धन की हानि होती 
है ! और ऐसे ही परिवार सदा दु:   
संताप में ही जीवन जीते हैं

इस तरह के  दु:खों समस्याओं से बचने 
के लिए एक ही बढ़िया रास्ता है-परिवर्तन !

बड़े बुजुर्गों को उपदेशात्मक आदेशात्मक 
एवं प्रवचनकार का रूप त्याग कर 
टकराव के बजाए परिवर्तन की नीति को 

अपनाते हुए खुद के व्यवहार को बदलना 
आज के समय की जरूरत है ! 
इसी में सबकी भलाई सुख खुशी और आनंद है !


7 - बीमारी भी एक दु: का कारण है ! 
बीमारी चाहे मानसिक हो या शारीरिक ,   
बडा दु:  देती है ! 


कहावत है कि , व्यक्ति अपने दु: से 
उतना  दु:खी नहीं होता है जितना दूसरों 
के सुख को देखकर  दु:खी होता है !
यह भी मानसिक बीमारी ही है !



जो कई लोगों की आदत बन चुकी है !
एक बार यह आदत बदल कर दूसरों की 
खुशी से खुश हो कर तो देखिए,कितना 
आनंद मिलता है ! 


शारीरिक बीमारी को तो दवा से ठीक 
किया जा सकता है लेकि मानसिक 
बीमारी की सर्वोत्तम दवा तो खुशी ही है ! 

खुशियां बांटने से बढ़ती हैं और 
दु: बांटने से घटता है !

अगर आपके सहयोग से सपोर्ट से
मदद से अगर किसी व्यक्ति को खुशी 
मिलती है,तो आपको ऐसा मौका कभी 
नहीं गंवाना चाहिए

और अगर आपके द्वारा खुश हुए 
व्यक्ति के कारण चार और अन्य लोगों 
को भी खुशी मिलती हैतब तो आपको 

आगे बढ़कर उस व्यक्ति का साथ देना 
चाहिएउसे हर तरह से भरपूर सहयोग 
करना चाहिए

ऐसा करने से दिल दिमाग से भय ,
तनाव  चिंता तो दूर होगी ही साथ 
ही वह व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ 
प्रसन्न रहकर आप को और अधिक 
दिल से चाहने लगेगा

साथ ही उन चार व्यक्तियों की नजरों 
में आपकी छवि दरियादिली की बनेगी !
आप भी की नजरों में सम्मानीय व 
आदरणीय भी बनेंगे  !


एक कहावत है कि आत्मा खुश तो 
परमात्मा खुश 

आप किसी की आत्मा खुश करके 
परमात्मा को ही खुश करते हैं
और परमात्मा - खुशी देने वाले  
को  दु:खों से सदा दूर ही रखता है !

इसलिए जिंदगी में ऐसे अवसर 
आए तो कभी चुके नहीं
क्योंकि ऐसे ही शुभ कर्मों से व्यक्ति 
का इतिहास भी बनता है

कहते हैं जो भी हम दूसरों को देते हैं वही     
चार गुना होकर हमें वापस मिलता है 


8 - जरूरत से ज्यादा इच्छाएं भी 
एक दु: का कारण है ! 

काफी प्रयास करने के बाद भी जब 
इच्छाओं की पूर्ति नहीं हो पाती है ,
तब व्यक्ति  दु:खी रहने लगता है !

इस चक्कर में कई बार व्यक्ति हीन 
भावना का शिकार भी हो जाता है !
अपने वर्तमान को खुल कर मजे से 
जीना भी भूल जाता है ! 

इसीलिए तो कहते हैं कि जितनी चादर 
हो उतने ही पैर पसारने चाहिए !

इच्छाओं का क्या है वह तो अनंत है !
एक पूरी करो दूसरी उठ खड़ी होती है ! 
अब इसके लिए अतिरिक्त आमदनी 
की व्यवस्था और प्रयास करो अन्यथा ,
संतोषी सदा सुखी !

मनुष्य के  दु:खों का सबसे बड़ा कारण        
काम क्रोध मोह लोभ और अहंकार भी है !
अगर व्यक्ति इन दुर्गुणों को त्याग दें तो 
जीवन सोने पर सुहागा जैसा हो जाएगा

आज के युग में प्रेम ,दया ,करुणा ,क्षमा , 
दान ही सुखी  संतोषी जीवन के लिए  
प्रमुख सूत्र हैं !


और अंत में यह कि दुनिया में >>>
प्रेम से बड़ी कोई दवा नहीं है ! 
प्रेम से बडा  कोई सुख नहीं है ! 
प्रेम से बडा कोई समाधान  नहीं है !
और प्रेम से बड़ी कोई पूजा नहीं है !


** इसीलिए तो कहते हैं कि **
- जिन प्रेम कियो तिन ही प्रभु पायो

********* धन्यवाद *********


वीडियो में मेरे द्वारा कही गई 
बातों से सहमत होना या ना 
होना और इन बातों पर अमल 
करना या  करना व्यक्ति की 
इच्छा पर निर्भर है ! 

वीडियो देखने के लिए धन्यवाद  !
मैं शीघ्र ही एक वीडियो आपके 
लिए हाजिर करूंगा ! 

मेरी नई वीडियो आपको सबसे 
पहले मिले, इसके लिए मैं आपसे
इतना ही कहना चाहूंगा कि ,यह

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बेफिक्र रहें स्वस्थ रहें  !

     धन्यवाद